Kavita Jha

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मेरी बैस्टी मेरी डायरी# डायरी लेखन प्रतियोगिता -17-Dec-2021

23 दिसंबर
रात के सवा आठ बजने को हैं...
बैस्टी बताया था ना कि साल बीत रहा है तो इस साल 2021 के हर महीने की यादें तुझ संग साझा करूंगी। जनवरी फरवरी की यादों के बाद अब बारी आती है मार्च की... रंगों का त्यौहार होली हर बार कुछ नए अंदाज में ही मनाते हैं हमारे घर के बच्चे होली का यह त्यौहार। 
हमारा तो पूरा समय किचन में ही बीत जाता है। होली में दही भल्ले और मालपुआ के साथ साथ यहां झारखंड का फेमस ठुसका और काले चने के छोले जरूर बनते हैं। 
कुछ साल पहले ही इसका नाम सुना था,अब तो मुझे भी बनाने आ गए। चावल और चने की दाल से बने नमकीन पुआ भी कह सकते हैं इसे! तो हम तो दो दिन पहले से ही दालें भिगोने, पीसने में लग जाते हैं।
कुछ साल से बच्चों को हर्बल होली के साथ टमाटर और चुकुंदर से खेलना अच्छा लगता है।तो इस बार भी करीब दस किलो टमाटर जब खेलने के लिए आए तो मैं और जेठानी जी अच्छे टमाटरों को बच्चों की नजर से छुपाने में लगे थे। होली वाले दिन घर के सभी बच्चे बहुत उत्साहित थे पर अचानक बड़े बेटे का मूड ऑफ हो गया तो मेरा तो सारा मजा किरकिरा हो गया।
उस समय बारहवीं की परीक्षा कब होगी कैसे होगी, बेटे के साथ साथ हम सब परेशान थे। बेटे ने गुस्से में कुछ खाया नहीं पूरा दिन तो मेरा भी मन ही नहीं लग रहा था,किसके लिए इतनी मेहनत कर रही हूं, सुबह से किचन में लगी हूं सोच सोचकर बुरा हाल हो रहा था।बेटा कुछ बताने को तैयार ही नहीं था कि आखिर बात क्या हुई तो बाद में पता चला जब वो किचन में मुझे रंग लगाने आ रहा था तो उसकी बड़ी बहन ने रोक लिया कि किचन में काकी काम कर रही है,थोड़ी देर बाद आंगन में सब खेलेंगे। 
वैसे मुझे पूरे साल में सबसे अच्छा मौसम मार्च का ही लगता है, ठंड जा रही होती है और गर्मी भी नहीं होती। 
दो साल से कोई भी त्यौहार पहले की तरह कहां मना पाते हैं इस कोरोना के प्रकोप के कारण। मार्च से ही रांची में भी काफी केस बढ़ गए थे कोरोना के तो डर हमेशा लगा रहता था।
पर समय रुकता तो नहीं है, और जिस चीज से हम डरते हैं ना वो हमारे पास जरूर आ धमकती है, बताऊंगी वो यादें मई  महीने की भी पर उससे पहले अप्रैल की कुछ यादें तेरे पास लेकर आऊंगी।
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कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी
#डायरी प्रतियोगिता
#मार्च की यादें

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